वास्तु शास्त्र और feng shui दोनों ही बहुत प्रचालित प्राचीन कलाएं हैं। यु तो वास्तु शास्त्र और feng shui में फर्क बहुत है | इन दोनों का प्रयोग जीवन को बेहतर तरह से जीने के लिए किया जाता है। वास्तुशास्त्र में घर के लिए महत्वपूर्ण जानकारी दे गयी है। दूसरी तरफ फेंगशुई पूरे ब्रह्मांड और पर्यावरण के बीच ऊर्जा के संतुलन के बारे में है। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे वास्तु शास्त्र और फेंगशुई में क्या है अंतर। ताकि दोंनो की बेहतर जानकारी प्राप्त कर सके।
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वास्तु शास्त्र और Feng Shui में फर्क 12 समानताएं व असमानताएं –
अर्थ |
|
वास्तु शास्त्र
वास्तु “निवास”, शास्त्र “विज्ञान |
Feng Shui
फेंग “वायु”, शुई “पानी” |
उत्पति | |
वास्तु शास्त्र
भारत |
Feng Shui
चाइना |
ऊर्जा केंद्र | |
वास्तु शास्त्र
मध्य |
Feng Shui
मध्य |
आधार | |
वास्तु शास्त्र
भवन निर्माण |
Feng Shui
ऊर्जा का प्रभाव |
शुभ दिशा | |
वास्तु शास्त्र
उतर |
Feng Shui
दक्षिण |
शुभ पौधा | |
वास्तु शास्त्र
तुलसी |
Feng Shui
बांस |
शुभ मूर्ति | |
वास्तु शास्त्र
गणेश |
Feng Shui
लाफिंग बुध्दा |
रंग | |
वास्तु शास्त्र
चमकीले |
Feng Shui
हल्के |
पूजा कक्ष | |
वास्तु शास्त्र
उतर – पूर्व |
Feng Shui
उतर पूर्व |
शौचालय | |
वास्तु शास्त्र
ईशान कोण में नहीं होना चाहिए |
Feng Shui
ईशान कोण में नहीं होना चाहिए |
रसोई | |
वास्तु शास्त्र
दक्षिण-पूर्व |
Feng Shui
प्रवेश द्वार के सामने |
शयन कक्ष | |
वास्तु शास्त्र
दक्षिण-पश्चिम |
Feng Shui
बिस्तर की दिशा विकर्ण |
चलिए जाने वास्तु शास्त्र और फेंगशुई के परिणामों के बारे में –
1.
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई के नाम में क्या है फर्क़ –
वास्तु शास्त्र में वास्तु “निवास” और शास्त्र “विज्ञान” को दर्शाता है। यह प्राचीन भवन निर्माण कला है जो घर की निर्माण प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
फेंगशुई में फेंग “वायु” और शुई “पानी” को दर्शाता है। फेंगशुई यिन और यांग दो ऊर्जाओं के द्वारा होता है। जब ये दोनों ऊर्जा मिलती हैं तो एनर्जी फ्लो करती है। इस एनर्जी को ‘ची’ कहा जाता है।
2.
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई की उत्पति में क्या है अन्तर
वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय कला में से एक है। ये घर की हर वस्तु को कैसे कहाँ रखा जाए जिससे उसका प्रभाव घर व परिवार के लोंगो पर अच्छा पड़े इसके बारे में है।
फेंगशुई एक चीनी प्राचीन कला है। ये प्रकृति की ऊर्जा व उसके प्रभाव के बारे में है।
3.
दोनों की ऊर्जा में क्या है समानता
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का केंद्र यानी मध्य में ऊर्जा की उच्चतम गुणवत्ता प्राप्त होती है। इसी वजह से घर के मध्य को कैसे रखना है उसका काफी महत्व है।
फेंगशुई के अनुसार केंद्र यानी मध्य में सभी ऊर्जाएं मिलती हैं। इसमें भी मध्य को महत्व दिया गया है।
इसी वजह से दोनों में केंद्र ( मध्य ) को साफ रखने को कहा गया है।
4.
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई के आधार में फर्क़
वास्तु शास्त्र में आधार भवन निर्माण को माना गया है। मतलब भवन या घर से जुड़ी जो भी वस्तुएं है उनका क्या प्रभाव पड़ता है। जब कि फेंगशुई में आधार ऊर्जा के प्रभाव को माना गया है। इसमें माना गया है हर चीज ऊर्जा उत्पन्न करती है और उसका हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है।
5.
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई की दिशा में क्या है अन्तर
वास्तु के अनुसार उत्तर सबसे शुभ दिशा है, क्योंकि यह चुंबकीय ऊर्जा का स्रोत है यहीं पर सारी ऊर्जा मिलती है।
फेंगशुई में दक्षिण को शुभ दिशा माना गया है, क्योंकि सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर चलता है।
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6.
दोनों के पौधों में क्या असमानता है
वास्तु शास्त्र में तुलसी के पौधे को ज्यादा महत्व दिया गया है। इसकी भारतीय लोग पूजा रते हैं साथ ही में इसके काफी मेडिसिनल फायदे भी है।
फेंगशुई में बांस के पौधे का महत्व है। चीन में इस पौधे को काफी लाभकारी माना गया है।
7.
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई की मूर्ति में क्या है अन्तर
वास्तु शास्त्र में गणेश जी की मूर्ति को ज्यादा महत्व दिया गया है। भारत में अक्सर लोग गणेश जी की मूर्ति को देना पसंद करते है। इसका वास्तु शास्त्र में भी काफी महत्व है।
फेंगशुई में लाफिंग बुद्धा की मूर्ति को ज्यादा शुभ मानते है। ये दुकानों में ज्यादातर लोग रखना पसंद करते है।
8,
दोनों के रंगों में क्या असमानता है
जब रंगों की बात आती है, तो वास्तु शास्त्र कहता है कि चमकीले रंगों का प्रयोग होना चाहिए। ये रंग सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते है।
फेंगशुई में कहा गया है कि घर में सुखदायक व हल्के रंगों का प्रयोग होना चाहिए। ताकि घर व दुकान का माहौल शांत रहे व सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करे।
9.
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई में क्या है फर्क़ पूजा कक्ष को लेकर
वास्तु शास्त्र में पूजा कक्ष के लिए उत्तर-पूर्व दिशा को शुभ बताया गया है ताकि सूर्य से अधिकतम ऊर्जा प्राप्त की जा सके।
फेंगशुई के हिसाब से भी पूजा कक्ष को उत्तर-पूर्व दिशा में बनाया जाना चाहिए क्योंकि वहां से सकारात्मक ब्रह्मांडीय ऊर्जा प्रवाहित होती है।
10.
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई में क्या है अन्तर शौचालय की दिशा को लेकर
वास्तु शास्त्र में ईशान कोण और पूर्व दिशा में टॉयलेट नहीं बनाने की सलाह दी है। इस से घर पर गलत प्रभाव पड़ता है।
फेंगशुई में भी ईशान कोण और पूर्व दिशा को साफ – स्वच्छ रखने की सलाह दी गयी है। ताकि सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सके।
फेंगशुई के हिसाब से आप क्रिस्टल का कमल दे सकते है
11.
वास्तु शास्त्र और Feng Shui की रसोई की दिशा में क्या है असमानता
वास्तु शास्त्र में रसोई के लिए दक्षिण पूर्व दिशा निर्धारित की गई है। भारत में रसोई को सबसे स्वच्छ रखने को कहा गया है। ऐसा कहा जाता है कि यहीं से सारे देवी देवता व सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
फेंगशुई में रसोई को प्रवेश द्वार के सामने बनाने को कहा गया है। ताकि सकारत्मक ऊर्जा सबसे पहले वही से प्रवेश करे।
12.
दोनों के शयन कक्ष की दिशा में क्या है फर्क़
वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष बनाने की आदर्श दिशा दक्षिण-पश्चिम है।
फेंगशुई के अनुसार बिस्तर की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है और इसलिए बिस्तर को दरवाजे से विकर्ण रखना चाहिए ।
आशा करती हूं ऊपर दिए गए सभी बिंदुओ से आपको बेहतर जानकारी मिली होगी वास्तु शास्त्र और Feng Shui में फर्क को लेकर।
अगर आप इन दोनों के बारे में ओर जनाना चाहते है तो किसी वास्तु या फेंगशुई निपुण से बात कर सकते है।
जीवन में अपनों के संग बिताए हुए पलों से अच्छा और कुछ नहीं। इसलिए इस मंच के द्वारा लेकर आयी हूँ ख़्वाबों और खुशियों की सौगात। ख़ास हैं जो आपके लिए, तोहफे दीजिये उन्हें ऐसे की ऐतबार के साथ आपसे होजाए उन्हें और भी प्यार।